प्रोस्टेट ग्रंथि के बढऩे पर यूरीन ब्लैडर में सामान्य से ज्यादा देर तक रुका रहता है तो कुछ समय के बाद किडनी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडऩे लगता है। इसके कारण किडनी की ब्लड को छानने की क्षमता कम होने लगती है और किडनी यूरिया, क्रिएटिनिन,यूरिक एसिड आदि को पूरी तरह शरीर के बाहर निकाल नहीं पाती। इन सब के कारण ब्लड में यूरिया बढऩे लगता है, जो शरीर के लिए नुकसानदेह होता है। कई बार किडनी की क्रियाविधि इतनी प्रभावित होती है कि ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढऩे लगता है।
कारण
बढ़ती उम्र, आनुवाशिक और हार्मोनल प्रभाव से प्रोस्टेट ग्रंथि बढऩे लगती हैं। दूषित पानी, कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट और अंग्रेजी सेक्सवर्धक दवाओं से भी प्रोस्टेट बढ़ जाती है।
लक्षण
मूत्र त्याग में सामान्य से ज्यादा देर लगना, अंडकोशों, जांघों और कमर में दर्द, मूत्र करते समय जलन, मूत्र के बाद भी मूत्राशय में थोड़ा पेशाब शेष रहा जाना। तेज मूत्र का वेग लेकिन मूत्र रुक रुक कर आना, मूत्र बार बार आना।
कौन सा टेस्ट कराएं
सोनोग्राफी से प्रोस्टेट ग्रंथि का परीक्षण अच्छी तरह से हो जाता है। सोनोग्राफी करने से प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार, प्रोस्टेट ग्रंथि की रुकावट के कारण, मूत्राशय में बचने वाले मूत्र की मात्रा, किडनी और मूत्राशय की वर्तमान स्थिति का पता चल जाता है।
आयुर्वेद उपचार
आयुर्वेद में इसके लिए कई औषधियां हंै जिनकी सहायता से बढ़ी हुई प्रोस्टेट को फिर से सामान्य किया जा सकता है। इसके लिए वरुण, कांचनार, गोखरू, अर्क की जड़, शीलाजीत आदि औषधियों का प्रयोग किया जाता है।
प्रोस्टेट के लिए शल्यक्रिया
कुछ लोगों को दवाइयों से कोई लाभ नहीं होता है या प्रोस्टेट की साइज बहुत ज्यादा बढ़ जाने के कारण शल्यक्रिया आवश्यक हो जाती है और इसके द्वारा प्रोस्टेट ग्रंथि को निकाला जाता है।
क्या खाएं
हरी सब्जियां और ताजा फल।
अंडे, मछली और चिकन का सेवन करें।
दूध, पनीर और सोया का सेवन करें।
टमाटर खाएं।
पाइनएप्पल, एवोकेडो खाएं।
क्या न खाएं
तेज मिर्च मसाला, चटनी, खटाइ,वसा युक्त आहार का सेवन ना करें।
कार्बन युक्त पेय, कॉफी-चाय, शराब ना पीएं।
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