ताकि दूसरे देख सकें आपकी आंखों से - My Breaking News

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Monday, 3 September 2018

ताकि दूसरे देख सकें आपकी आंखों से

देशभर में ऐसे कई लोग हैं जो आंख में चोट, फूले व धब्बे की समस्या की वजह से अंधता के शिकार हैं। इन परेशानियों के उपचार में नेत्रदान एक असरदार उपाय साबित हो सकता है। नेत्रदान के लिए लोग जागरूक होकर कई लोगों की जिंदगी में रोशनी ला सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।

कॉर्निया प्रत्यारोपण क्या है?

ने त्रदान के लिए पहले पूरी आंख को निकाला जाता था लेकिन अब केवल आंख के पारदर्शी हिस्से यानी कॉर्निया को ही निकालते हैं। इस प्रत्यारोपण को किरेटोप्लास्टी कहते हैं जो वास्तव में कॉर्निया (पारदर्शी पुतली) का प्रत्यारोपण है। इस सर्जरी में दान की हुई आंख से पारदर्शक कॉर्निया को निकालकर खास किस्म के सॉल्यूशन में सुरक्षित रखकर आई बैंक ले जाते हैं। जहां कॉर्निया की टेस्टिंग कर उसकी गुणवत्ता का पता लगाकर कोरिसिनोल सॉल्यूशन में दो हफ्ते तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

प्रत्यारोपण के दौरान मरीज के खराब कॉर्निया को हटाकर स्वस्थ कॉर्निया लगाया जाता है। कई शोधों के बाद डॉक्टर अब दान किए गए एक कॉर्निया से चार मरीजों को रोशनी दे सकते हैं। नेत्रदान के दौरान उन लोगों को प्राथमिकता दी जाती है जिन्हें दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता।

नेत्रदान की प्रक्रिया

आई बैंक या नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर नेत्रदान किया जा सकता है। इसके लिए एक फॉर्म भरकर जमा कराना होता है। इसके बाद व्यक्ति को एक आईडी कार्ड मिलता है जिसे उसके परिवार वाले मृत्यु के बाद दिखाकर नेत्रदान कर सकते हैं।

यदि व्यक्तिने अपने जीवनकाल में नेत्रदान की घोषणा की है या परिजन मृत्यु के बाद उसकी आंखों का दान करना चाहें तो ही ऐसा करना संभव होता है। मृत्यु के बाद छह घंटे के अंदर सूचना मिलने पर नेत्र-अस्पताल या आई-बैंक से डॉक्टरों की टीम उस व्यक्ति के घर जाकर कॉर्निया निकालती है और शेष स्थान पर प्लास्टिक कैप लगा देती है ताकि चेहरा विकृत न लगे।

कौन कर सकता है

किसी भी उम्र का व्यक्ति जिसका कॉर्निया पूरी तरह से स्वस्थ हो वह नेत्रदान कर सकता है। वैसे 10-50 वर्ष के व्यक्तिकी आंखें ज्यादा उपयोगी होती हैं। दुर्घटना, हार्ट अटैक, लकवा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, अस्थमा और मूत्र संबंधी रोग के कारण मौत होने पर आंखों का प्रयोग प्रत्यारोपण के लिए किया जा सकता है।


कौन नहीं कर सकता: जिन लोगों की मृत्यु वायरल, बैक्टीरियल इंफेक्शन या एड्स की वजह से होती है उनकी आंखों के कॉर्निया का प्रयोग नेत्रदान के लिए नहीं किया जा सकता है।

२५ लाख लोग भारत में आंख के कॉर्निया में फूले की वजह से अंधेपन के शिकार हैं।
८० प्रतिशत लोगों को नेत्रदान से फायदा पहुंचाया जा सकता है।

१ करोड़ लोगों की मौत देश में प्रतिवर्ष होती है लेकिन इनमें दान की गई आंखों की संख्या महज 6,000 ही होती है।

महत्वपूर्ण तथ्य

दान दी गई आंखें केवल उसी के लिए प्रयोग की जाती है जिसकी आंख की पारदर्शी पुतली में फूले की समस्या के कारण अंधापन हो।

जिन्होंने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया हो और यदि सर्जरी के बाद उनकी आंखों का कॉर्निया या अंदरुनी कोशिकाएं पूरी तरह से स्वस्थ हों, वे भी आंखें दान कर सकते हैं।
५-70 वर्ष की आयु के व्यक्तिकी आंखों को प्रत्यारोपण के लिए इस्तेमाल में लिया जा सकता है।

सर्जरी से पहले प्राप्तकर्ता की आंखों की गहन जांचें होती हैं।

मृत्यु के बाद आंखों को निकालने से पहले रक्तजांचें की जाती हंै। इससे उस व्यक्तिमें वायरल, बैक्टीरियल या एचआईवी संक्रमण का पता लगाया जाता है।
आई बैंक में दान की गई आंखों को कॉर्निया प्रत्यारोपण, शोध के कार्यों और अध्ययन के लिए प्रयोग किया जाता है।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2PDnPft

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages