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Saturday, 13 October 2018

इस वजह से महीनों तक छुपाया गया था जीका वायरस से जुड़ा यह राज

इस समय भारत में फैल रहे जीका वायरस संक्रमण के मरीज सबसे पहले गुजरात में मिले थे। हाल ही वहां जीका वायरस से संक्रमित तीन व्यक्तियों की पहचान की गई। लेकिन सरकारी स्तर पर पहले मरीज की बात लोगों से छुपाकर रखी क्योंकि स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी नहीं चाहते थे कि लोगों में किसी प्रकार की घबराहट फैले।

जीका वायरस के संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं। समय पर लक्षणों की पहचान व समुचित उपचार से पूर्ण इलाज संभव है। लेकिन जब बीमारी के मरीज ज्यादा आते हैं तो जनता में घबराहट फैल जाती है। जीका वायरस के मामले में इसी बात को समझते हुए गुजरात के स्वास्थ्य विभाग ने जीका वायरस का पहला मरीज मिलने के बावजूद इसका सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया था। दरअसल यह बात पिछले नवंबर की है। वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार वर्ष 2017 में अहमदाबाद की इस महिला मरीज की ब्लड जांच में जीका वायरस की पुष्टि हुई थी। महिला गर्भवती थी और उसने स्वस्थ शिशु को जन्म दिया था। प्रसव के बाद महिला को हल्के बुखार की शिकायत हुई थी।

गुजरात के स्वास्थ्य आयुक्त जेपी गुप्ता के अनुसार सरकारी अधिकारियों को नवम्बर माह की शुरूआत में ही अहमदाबाद, गुजरात की एक गृभवती महिला के जीका वायरस से ग्रसित होने की जानकारी थी। महिला के जीका वायरस से ग्रसित होने की पुष्टि जनवरी में की गई। फरवरी में सरकारी प्रयोगशालाओं ने उसी शहर से दो और जीका मामलों की पुष्टि की।

गुजरात में देश के पहले जीका संक्रमण के तीन मामलों की पुष्टि किए गए मामलों की रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसी सप्ताह शुक्रवार को ऑनलाइन बुलेटिन में की थी। रिपोर्ट के अनुसार पहले रोगी के खून के नमूने में जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की महानिदेशक सौम्या स्वामीनाथन ने पुष्टि की कि उन्हें व स्वास्थ्य मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को जीका वायरस के शुरुआती मामलों की जानकारी थी लेकिन देश में लोग बेवजह न घबराएं, इसलिए इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था।

फोन पर जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि सरकार ने जीका वायरस का पहला मामला सामने आते ही सरकार ने तुरंत निगरानी व सतर्कता अभियान शुरू कर दिया था जिसके तहत जहां से पहले संक्रमण का मामला सामने आया, उस क्षेत्र से हजारों रक्त नमूनों और मच्छरों का परीक्षण किया।

उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर आवश्यक कार्रवाई की गई थी, और हमें लगा कि हम अच्छी तरह से काम कर रहे थे। हमने सोचा था कि सार्वजनिक भय पैदा करने की जरूरत नहीं है। जिससे लोगों में घबराहट फैल जाए।"

स्वामीनाथन ने कहा कि यदि ऐसा होता तो लोग बेवजह बुखार होने पर भी हर बार जीका की जांच कराने लग जाते। हमारे देश में यहां हर साल करीब 26 लाख महिलाएं गर्भवती होती हैं और और हमारी प्रयोगशालाओं में इतनी क्षमता नहीं है कि इतने लोगों का परीक्षण किया जा सकें। हालांकि सरकार की इन दलीलों से बापूनगर के कुछ निवासियों ( जहां जीका के पहले मामले का पता चला था) ने सरकार द्वारा मामला सार्वजनिक नहीं किए जाने पर विरोध भी जताया था।

अहमदाबाद मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व प्रमुख प्रज्ञेश वाचरजानी ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा था कि सरकार ने जीका वायरस चेतावनी समय पर जारी कर दी होती तो डॉक्टर और लोग अधिक जागरूक और सतर्क रहते।

स्वामीनाथन ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं था कि जीका भारत कैसे फैल गया थी। जीका-पॉजिटिव मरीजों में से किसी ने भी विदेश यात्रा नहीं की थी।

डब्ल्यूएचओ इंडिया के एक प्रवक्ता ने लोगों से मच्छरों से बचाव के सभी उपाय अपनाने का आग्रह किया है। कहा गया है कि लंबी आस्तीन वाले कपड़े पहनें और बदलते मौसम में जाली और मच्छरदानी का उपयोग करें, जब मच्छरों का प्रजनन अपने चरम पर होगा।

जीका वायरस मच्छरों से फैलता है, और पिछले साल दक्षिण और मध्य अमेरिका में जीका महामारी की सूचना मिली थी। जीका वायरस मिनेससेफली नामक जन्म दोष से जोड़ा जाता है। यदि किसी गृभवती महिला इस वायरस की चपेट में आ जाए तो उसके शिशु का खतरा उत्पन्न हो जाता है। जीका से संक्रमित बच्चे का सिर सामान्य बच्चों की तुलना में छोटा रहा जाता है।

इसी कारण से, गर्भवती महिलाओं को संक्रमित क्षेत्रों से बचने के लिए कहा जाता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों ने 70 से अधिक जीका संक्रमित देशों की पहचान की है, जिनमें दक्षिण एशिया में कई शामिल हैं, जहां जीका अभी भी एक खतरा है। (वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत)



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