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Thursday, 28 February 2019

प्रकृति को गले लगाएं आैर सुखी जीवन पाएं

आधुनिक जीवनशैली सेहत पर ग्रहण लगा रही है। ऐसे में प्रकृति को गले लगाकर ही हम खुद को बचा सकते हैं।
यह सच है कि आप चाहकर भी अपनी लाइफस्टाइल नहीं बदल सकते और न ही ऐसी चीजों को छोड़ सकते हैं जो आपकी जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी हैं। लेकिन आप सचेत रह सकते हैं और खतरों को कम कर सकते हैं।तो फिर देर किस बात की, आइए जानते हैं उन तरीकों के बारे में जो सेहत में सकारात्मक बदलाव लेकर आएंगे। लेकिन इन बदलावों के लिए आपको सबसे पहले अच्छी सेहत के लिए दृढ़ निश्चय करना होगा।

दातुन चबाएं
कई शोध टूथपेस्ट को कैंसर का कारक बता रहे हैं। ऐसे में नीम की दातुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। दांतों के लिए नीम की दातुन काफी फायदेमंद रहती है। अगर नियमित तौर पर दातुन न मिले तो भी खाली ब्रश करके या सप्ताह में केवल दो बार पेस्ट लगाकर भी हम खतरे को कम कर सकते हैं।

मुल्तानी मिट्टी लगाएं
आज के जमाने में कई लोग खुशबू के फेर में तरह-तरह के साबुन इस्तेमाल करते हैं। इन साबुनों में कई तरह के कैमिकल होते हैं जो कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं। आप साबुन के बजाय मुल्तानी मिट्टी को नहाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर नहाते वक्त सफाई का पूरा खयाल रखा जाए तो वैसे भी साबुन की जरूरत नहीं रहती।

पानी को उबालकर पिएं
आज ज्यादातर घरों में पानी साफ करने के लिए आरओ मशीन लगी हुई है। लेकिन कई बार ज्यादा मशीनी पानी भी नुकसान दे सकता है। आरओ की जगह पर पानी को अच्छी तरह से उबालकर तांबे के बर्तन में रखकर इस्तेमाल किया जा सकता है। जैन धर्म में धोवन पानी की परंपरा है। पानी में राख मिलाकर धोवन पानी तैयार किया जाता है।

नीम की पत्तियों का जादू
नीम की पत्तियां कीटाणुओं का नाश कर सकती हैं। इन्हें पानी में उबालकर इस्तेमाल में लिया जा सकता है। यह एंटीसेप्टिक लिक्विड का विकल्प हो सकती हैं।

सूती कपड़े का उपयोग
आजकल फॉइल पेपर में रोटियां लपेटकर रखी जाती हैं। इसके स्थान पर सूती कपड़े में भी रोटियां रखी जा सकती हैं। रेफ्रिजरेटर के इस्तेमाल को भी सीमित करने की जरूरत है।



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