
यदि आप मेनोपॉज के प्रभाव को कम करने के लिए एंटी-डिप्रेसेेंट दवाएं खाती हैं तो सावधान हो जाएं। अमरीका की बोस्टन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार इससे हड्डियों में क्षति व उनके कमजोर होने की आशंका बनी रहती है। माहवारी बंद होने के समय में हॉट फ्लैशेज (गर्मी लगना व चेहरा लाल होना), रात में अधिक पसीना आना और खाना खाते ही शौच जाने जैसी दिक्कतें होने लगती हैं।
इन दवाआें के विवेदहीन उपयाेग से सेहत काे कर्इ नुकसान हाे सकते हैं। ट्रैंक्विलाइजर शरीर के सेंट्रल नर्वस सिस्टम काे डिप्रेस कर देते हैं जबकि एंटीडिप्रेसेंट हमारी ब्रेन केमिस्ट्री काे बदल डालते हैं। मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट डाॅॅॅ. मैक्स पेम्बर्टन कहती हैं, दाेनाें दवाएं हमारी फीलिंग्स काे खत्म कर देती हैं आैर इमाेशनल रिएक्शन काे कुंद कर देती हैं।इसके लिए डॉक्टर मरीजों को एंटी-डिप्रेसेंट दवाएं लेने की सलाह देते हैं।
वैज्ञानिकों ने लगभग ढाई लाख महिलाओं पर यह अध्ययन किया। इससे पहले हुए कई शोधों में वैज्ञानिकों ने हार्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी को भी खतरनाक माना था।
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