
अस्थमा या दमा वह स्थिति है जिसमें फेफड़ों से हवा का आवागमन करने वाली नलियां सिकुड़ जाती हैं और उनमें सूजन आ जाती है जिससे लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ या सीटी की आवाज व कमजोरी आदि हो जाती हैं। अस्थमा में फेफड़ों की कार्यक्षमता में भी कमी आ जाती है।
बच्चों में उपरोक्त लक्षणों के साथ दौडऩे-भागने में होने वाली खांसी भी अस्थमा का लक्षण हो सकती है। यह रोग आजकल बच्चों में एक बड़ी समस्या है जो खांसी, जुकाम को बार-बार दबाने से होता है। होम्योपैथिक दवाओं व परहेज से इसे ठीक किया जा सकता है।
परहेज : मैदे से बनी चीजें व फास्ट फूड न खाएं। बच्चों को चॉकलेट न दें। हरी सब्जियों से बने सूप व अन्य गर्म तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें। ठंडी व खट्टी चीजों को प्रयोग में न लें। सर्द हवाओं और धूल-मिट्टी से बचें। बिल्ली, कुत्ता आदि पालतू जानवरों से दूरी बनाए रखें। परफ्यूम, धुआं व फिनाइल आदि से दूर रहें। इस रोग में विशेषज्ञ मरीज के लक्षणों के आधार पर इलाज करते हैं।
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