प्रतिदिन सुबह करें ये काम, मानसिक रोगों में मिलेगा आराम - My Breaking News

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Friday, 29 March 2019

प्रतिदिन सुबह करें ये काम, मानसिक रोगों में मिलेगा आराम

योग के अंगों में प्राणायाम का स्थान चौथे नंबर पर आता है। इसको आयुर्वेद में मन, मस्तिष्क और शरीर की औषधि माना गया है। इसके अलावा वायु को मन को संयत करने वाला बताया गया है। प्राणायम से शरीर में उत्पन्न होने वाली वायु, उसके आयाम अर्थात निरोध करने को प्राणायाम कहते हैं।
ऐसे करें प्राणायाम की शुरुआत
प्राणायाम के लिए तीन क्रियाएं पूरक, कुंभक और रेचक हैं। इसे हठयोगी अभ्यांतर वृत्ति, स्तम्भ वृत्ति और बाह्य वृत्ति भी कहते हैं।
पूरक : नियंत्रित गति से श्वास अंदर लेने की क्रिया को पूरक कहते हैं। श्वास धीरे-धीरे या तेजी से दोनों ही तरीके से जब भीतर खींचते हैं तो उसमें लय और अनुपात का होना आवश्यक है।
कुंभक : श्वास को अंदर रोकने की क्रिया को आंतरिक और बाहर रोकने की क्रिया को बाहरी कुम्भक कहते हैं। कुम्भक करते वक्त श्वास को अंदर खींचकर या बाहर छोड़कर रोककर रखा जाता है।
अभ्यांत्र कुंभक- सांस को अंदर लेने पर दोनों नासिका को बंद कर सवा सेकंड रोकें। इसके बाद पूरी श्वांस बाहर छोड़ें। उतने ही श्वांस छोड़ें जितनी अंदर ली है। इससे शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।
वाह्य कुंभक: पूरक करने के बाद (सांस अंदर लेने के बाद बाहर छोडऩे के बाद रोकते हैं) सांस बाहर रोकते हैं। वैक्यूम की स्थिति को वाह्य कुंभक कहते हैं। अंतस्रावी, पिट्यूटरी गं्रथियां सही होती है।
रेचक: अंदर ली हुई श्वास को नियंत्रित गति से बाहर छोडऩे की क्रिया को रेचक कहते हैं। श्वास धीरे या तेजी से जब छोडऩे में लय व अनुपात जरूरी है। सूर्योदय से पहले करना फायदेमंद है। पूरक, कुंभक और रेचक की आवृत्ति को अच्छे से समझकर प्रतिदिन यह प्राणायाम करने से कई रोगों में फायदेमंद है। इसके बाद भ्रस्त्रिका, कपालभाती, शीतली, शीतकारी और भ्रामरी प्राणायाम कर सकते हैं।
- डॉ. चंद्रभान शर्मा, योग विशेषज्ञ, एसआर आयुर्वेद विवि, जोधपुर



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2FAt4ZP

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages