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Wednesday, 27 March 2019

जान लें दांतों के एक्स-रे से जुड़ी ये खास बातें

दांतों के लिए कराए गए एक्स-रे को लोग कई बार छोटा होने के कारण संभालकर नहीं रख पाते। लिहाजा आगे परेशानी होने पर उन्हें दोबारा एक्स-रे कराना पड़ता है। लेकिन इसे बार-बार कराना आपको परेशानी में डाल सकता है। जानते हैं इसके बारे में।

कब होती है जरूरत -
कैविटी की गहराई जानने के लिए एक्स-रे करते हैं।
पायरिया मसूढ़ों में सूजन आने पर दांतों में ठंडा-गर्म लगने या हिलने की समस्या हो जाती है। ऐसे में मसूढ़ों की गहराई का स्तर पता करने के लिए एक्स-रे करत हैं।
कई बार अक्ल दाढ़ टेढ़ी होने के कारण नहीं निकल पाती। दाढ़ कितने अंदर तक फंसी है यह जानने के लिए एक्स-रे करते हैं।
ब्रेसेस लगाते समय दांतों की स्थिति समझने के लिए भी एक्स-रे किया जाता है।
मुंह में फ्रेक्चर होने या किसी अन्य बीमारी का पता करने के लिए भी एक्स-रे करते हैं।

दो तरह के एक्स-रे
छोटा एक्स-रे -
इसे आईओपीए (इंट्राओरल पैरिएपिकल रेडियोग्राफ्स) कहते हैं। परेशानी किसी एक दांत में होने पर डॉक्टर इसकी सलाह देते हैं।

बड़ा एक्स-रे -
इसे ओपीजी (ऑर्थोपेंटोमोग्राम) कहते हैं। ये डॉक्टर के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे पूरे मुंह की स्थिति का पता लगता है। मरीज को भविष्य में दांत संबंधी कोई परेशानी होने पर डॉक्टर इसे देखकर परेशानी का अंदाजा लगा सकता है।

ध्यान रहे -
गर्भवती महिलाओं को एक्स-रे कराने से परहेज करना चाहिए क्योंकि मशीन से निकलने वाली किरणें होने वाले बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं।

बार-बार से नुकसान भी -
एक्स-रे करने वाली मशीनों से रेडिएशन निकलता है जो शरीर के लिए खतरनाक होता है। इससे निकलने वाली किरणें सीधे शरीर में प्रवेश करती हैं। हालांकि एक या दो बार एक्स-रे करवाने से बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन बार-बार इसे करवाने से कैंसर या मस्तिष्क में ट्यूमर होने का खतरा रहता है।



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