आप हमेशा अपने मन की करते हैं फिर चाहे वह गलत ही क्यों न हो। क्या सेहत को लेकर भी आप यही सोचते हैं? खुद ही परख लीजिए कि आप कितनी मनमर्जी करते हैं?
1. आपकी यह पक्की धारणा बन चुकी है कि जो 'मन' कहे बस वही करना चाहिए?
अ: सहमत ब: असहमत
2. कुछ करने को लेकर आप 'मन' की सुनते हैं फिर भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते?
अ: सहमत ब: असहमत
3. आपकी कोशिशें ऐसी हैं कि 'तन और मन' दोनों में से किसी एक को ही खुश कर सकते हैं?
अ: सहमत ब: असहमत
4. नया करने से पहले आप फायदे-नुकसान को लेकर सजग नहीं बल्कि फिक्रमंद रहते हैं?
अ: सहमत ब: असहमत
5. आप 'मन की आवाज' को ईश्वर की आवाज मानते हैं लेकिन उसके अनुसार कर्म करने से बचते हैं?
अ: सहमत ब: असहमत
6. आपको अपनी कमजोरियां पता हैं लेकिन आप 'मन' को बहला-फुसला कर उन्हें दबाए रखते हैं?
अ: सहमत ब: असहमत
7. कोई 'मनमर्जी' करने का आरोप लगाए तो आप उसे पूरी तरह खारिज कर देते हैं?
अ: सहमत ब: असहमत
8. 'तन और मन' के संबंध को समझने के लिए आप केवल धार्मिक बातों को ही महत्त्व देते हैं?
अ: सहमत ब: असहमत
9. कई बार आपकी 'मनमर्जी' के नुकसान सेहत पर भारी पड़ते हैं फिर भी आप बदलते नहीं?
अ: सहमत ब: असहमत
स्कोर और एनालिसिस
आप केवल मनमर्जी करते हैं:
अगर आप छह या उससे ज्यादा विचारों से सहमत हैं तो आप मनमर्जी करते हैं। आपका अपने परिवार, कार्यक्षेत्र या अन्य जगहों पर दबदबा तो है लेकिन आपका शरीर उसे स्वीकार नहीं करता। आपको मन के साथ, तन को महत्त्व देना शुरू करना होगा वर्ना सेहत से जुड़ी नई-नई समस्याएं परेशान करेंगी। तन व मन दोनों के लिए सहज बनने की कोशिश करें।
आपके 'तन-मन' काबू में हैं:
छह या उससेे ज्यादा बातों से असहमत हैं तो आपने अपने तन व मन दोनों को साध रखा है। आपका मन बहकता है पर अनुशासित आदतों की लगाम लगाना उसे अच्छी तरह आता है। तन व मन के इसी संतुलन से आपको धन की चिंता नहीं करनी पड़ती। अच्छी आदतों को बनाए रखें।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2Fl53Ww
No comments:
Post a Comment