खेल में लगने वाली कोई चोट हो या अन्य खरोंच, हमें कई बार ऐसे दर्द का सामना करना पड़ता है जिस पर ध्यान नहीं दिया जाए तो यह जीवन को कष्टदायक बना सकता है। मेडिकल साइंस की भाषा में इन्हें ‘स्पोट्र्स इंजरी’ कहा जाता है। ऐसी चोटों में बिना देरी किए डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। इन चोटों की खास बात यह है कि इनमें फ्रैक्चर नहीं होता।
क्या है स्पोर्ट्स इंजरी
टेनिस एल्बो, गोल्फर एल्बो, रोटेटर कफ टियर, लिगामेंट इंजरी, वजन नहीं उठा पाना, घुटने और टखने में मोच, घुटने में लचक और मांसपेशियों में खिंचाव आदि। ये स्पोट्र्स इंजरीज का ही एक रूप हैं यानी डॉक्टर जब इस तरह की शब्दावली का जिक्र करें तो समझिए कि आप स्पोटï्र्स इंजरी के शिकार हो गए हैं।
खतरा किसे ?
यह चोट ऐसे खेलों में होती है जहां वन टू वन सामना हो। कुश्ती, हॉकी, मार्शल आट्र्स, टेनिस, बॉक्सिंग, फुटबाल, टेबल टेनिस आदि के खिलाडिय़ों को ऐसी चोटों का सामना करना पड़ता है।
फिटनेस ट्रेनर की मदद
ऐसी चोटों में फिजियोथैरेपिस्ट व फिटनेस ट्रेनर की मदद से राहत मिल जाती है।
सर्जरी से पहले क्रॉस कंसल्ट करें
कोई डॉक्टर यदि सर्जरी की सलाह दे तो विशेषज्ञों से क्रॉस कंसल्ट जरूर करें। लोगों में अक्सर यह भ्रम होता है कि स्पोट्र्स इंजरी का इलाज कोई भी ऑर्थोपेडिक सर्जन कर सकते हैं। जबकि वे ऑर्थोपेडिक सर्जन जिन्हें ऑर्थोस्कोपी सर्जरी का अनुभव हो वही स्पोट्र्स इंजरी की सर्जरी कर सकते हंै। ऐसे में कुछ ऑपरेशन दूूरबीन की सहायता से होते हैं जबकि कुछ मामलों में ओपन सर्जरी भी करनी पड़ सकती है।
ऐसे करें बचाव
पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरें। मांसपेशियों को मजबूत रखने वाले व्यायाम और डाइट को फॉलो करें। वॉर्मअप करने के बाद ही मैदान में उतरें। खिलाड़ी अपने कोच के दिशा-निर्देशों पर अमल करें। शौकिया खिलाड़ी हों या फिर पेशेवर, खेल के दौरान दिए जाने वाले सारे सुरक्षा उपकरणों को पहनकर ही खेलने जाएं। बच्चों में भी आदत डालनी चाहिए कि वे अपनी चोटों को छिपाएं नहीं, चोट या खरोंच आदि लगने पर माता-पिता और स्कूल में स्पोट्र्स टीचर्स को इसके बारे में तुरंत बताएं। साथ ही शरीर के किसी भी हिस्से के दर्द को नजरअंदाज नहीं करें।
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