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Thursday 16 August 2018

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रवीना टंडन ने दिया बड़ा बयान, कहा- स्वतंत्रता दिवस मनाना जरुरी नहीं!

बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन फिलहाल बड़े पर्दे से दूर हैं, लेकिन देश के विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखने के साथ ही समाजसेवा का हिस्सा बन वह बतौर सेलिब्रिटी अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाती हैं। आजादी के 72वें साल पूरे होने पर रवीना कहती हैं कि 'हमें आजादी का जश्न एक दिन नहीं, बल्कि हर रोज मनाना चाहिए।' हाल ही में रवीना ने मीडिया से बातचीत के दौरान स्वतंत्रता दिवस को लेकर अपने विचार साझा किए।

 

raveena tandon

स्वतंत्रता दिवस करीब है, देशवासियों को जश्न-ए-आजादी के लिए क्या संदेश देंगी?

'आजादी का जश्न तो हमें हर रोज मनाना चाहिए और साथ ही हमें उन लोगों को धन्यवाद कहना चाहिए जो सीमा पर खड़े होकर हमारी रक्षा कर रहे हैं, जिनकी वजह से हम स्वतंत्रता दिवस मना पाते हैं...अपने घरों में खुशी से जी पाते हैं। हमें उनका आभार जताना चाहिए, जिन्होंने अपनी जान देकर हमें आजादी दिलाई है। यह एक दिन है जब हमें आजादी के लिए पूरी तरह से हमारे सैनिकों को धन्यवाद कहना चाहिए।'

रवीना टंडन उन गिनी-चुनी बॉलीवुड हस्तियों में शुमार हैं जो ट्रोल्स और आलोचना की परवाह न करते हुए बतौर सेलिब्रिटी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाती हैं और बेबाकी से विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय साझा करती हैं।

रवीना स्फाइना बाइफिडा फाउंडेशन ऑफ इंडिया की ब्रांड एंबेसडर है जो गर्भवती महिलाओं में फॉलिक एसिड की कमी के कारण उनकी संतान में होने वाले स्फाइना बाइफिडा विकार के प्रति जागरूकता फैलता है।

 

raveena tandon

इस कैंपेन से जुडऩे के बारे में पूछे जाने पर रवीना ने कहा, ''मैं छह साल से इस फाउंडेशन से जुड़ी हूं। मुझे लगता है कि यह एक ऐसा विषय है जो मेरे बहुत करीब है। मैं खुद एक मां हूं और बच्चे को तकलीफ में देखना एक मां के लिए कैसा होता है, यह मैं समझ सकती हूं। यह एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों में जन्म से होती है, लेकिन इससे बचा जा सकता है। इसलिए अगर आप जागरूकता फैलाएं तो गर्भवती महिलाएं अपनी होने वाली संतान को इससे बचा सकती हैं।'

वह कहती हैं, ''फॉलिक एसिड की गोलियों का पत्ता शायद आठ या 10 रुपये का है...यह मंहगा नहीं है, लेकिन इसके बारे में जागरूकता नहीं है, इसलिए जिन महिलाओं में फॉलिक एसिड की कमी होती है, उन्हें इसके बारे में पता नहीं चल पाता। इसके लिए जागृति फैलाने की बहुत जरूरत है।'

 

raveena tandon

अनुभवों के आधार पर आपको क्या लगता है कि सरकार कितनी जागृत और संवेदनशील है?

यह पूछे जाने पर रवीना ने कहा, ''देखिए यह एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) है, हम अब तक अपने एनजीओ के माध्यम से ही काम कर रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि सरकार भी इसके प्रति जागरूक है और बहुत ही जल्द हमें इस दिशा में कोई अच्छी खबर मिल सकती है कि सरकार और एनजीओ के साथ एक जागरूकता कार्यक्रम करने वाले हैं।'

 

raveena tandon

स्पाइना बाइफिडा से पीडि़त बच्चों के लिए को क्या कहना चाहेंगी?

रवीना ने कहा, 'अच्छी बात यह है कि स्पाइना बाइफिडा के 28वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने इस बीमारी की वजह से देश के साथ ही दुनिया भर के लोगों को जोड़ा, क्योंकि बहुत सारे लोग हैं जिन्हें इस बीमारी के बारे में जानकारी भी नहीं थी...उन्हें यह तक नहीं पता था कि उन्हें यह बीमारी कैसे हुई। इस फाउंडेशन के माध्यम से उन्हें यह पता चल पाया।'

वह कहती हैं, ''मैं बच्चों को यह संदेश देना चाहूंगी कि हिम्मत नहीं हारनी है। दुनिया भर में कई बच्चे बहुत ही गंभीर जन्मजात बीमारियों से जूझ रहे हैं, बावजूद इसके वह अपनी जिंदगी में बहुत बहादुरी और अच्छी तरह जी रहे हैं...हार नहीं मान रहे हैं। अगर किसी को यह बीमारी है तो उन्हें हिम्मत से अपनी जिंदगी जीनी चाहिए और इस बारे में जागरूकता भी फैलानी चाहिए।'

रवीना 2017 में फिल्म 'मातृ' में नजर आई थीं।

क्या आप हमें फिर जल्दी ही बड़े पर्दे पर नजर आएंगी? इस रवीना हंसते हुए कहती हैं, ''मैं पटकथाएं पढ़ रही हूं लेकिन अभी मुझे ऐसा कुछ खास लगा नहीं, जैसे ही कोई अच्छी पटकथा मिलती है तो मैं जरूर करूंगी।'



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