प्रेग्नेंसी में हाइ बीपी नियंत्रित नहीं होने से बढ़ता प्री-मैच्योर बेबी का खतरा - My Breaking News

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Sunday, 19 August 2018

प्रेग्नेंसी में हाइ बीपी नियंत्रित नहीं होने से बढ़ता प्री-मैच्योर बेबी का खतरा

गर्भावस्था के चौथे से छठे माह में ज्यादातर हाइ ब्लड प्रेशर की दिक्कत होती है। इस दौरान शरीर में तेजी से कई तरह के हॉर्मोनल बदलाव होते हैं। इस वजह से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ती हैं। अचानक ब्लड प्रेशर तेज होने से बच्चे के शरीर में पहुंचने वाले रक्त की भी गति तेज हो जाती है। ऐसे में गर्भपात हो सकता है। गर्भ के भीतर बच्चे को ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है।

जरूरी पोषक तत्त्व नहीं मिलते
ऐसी स्थिति में गर्भस्थ शिशु को जरूरी पोषक तत्त्वों कैल्शियम, शुगर और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में नहीं मिलता है। इससे विकास बाधित होता है। यह स्थिति जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। बीपी नियंत्रित नहीं होने पर चिकित्सक गर्भस्थ शिशु को ऑपरेशन कर निकाल लेते हैं।

सात साल तक बच्चे की जांच
इसके बाद नवजात को लंबे समय तक आइसीयू में रखते हैं। जन्म के दो हफ्ते बाद तक लगातार यूरिन जांच होती है, जिससे अंदरूनी संक्रमण का पता चल सके। सात साल तक हर तीन माह में जरूरी जांचें होती हैं। हड्डियों के विकास पर अधिक ध्यान देते हैं क्योंकि लंबाई उसी पर आधारित है। आंखों, किडनी, लिवर, हार्ट व फेफड़ों की स्थिति जानने के लिए जांचें होती हैं। सात साल की उम्र के बाद अठारह साल तक साल में एक बार पूरे शरीर की जांच करानी चाहिए।

२६ वें सप्ताह में जन्मी 455 ग्राम की बच्ची
एक गर्भवती महिला को हाइ-बीपी की समस्या थी। दवाओं से भी कंट्रोल नहीं हुई तो शिशु का विकास बाधित होने लगा। इसे देखते हुए मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के डॉक्टरों ने २६वें सप्ताह में डिलीवरी कराई। जन्म के समय नवजात का वजन ४५५ ग्राम था। आईसीयू, वेंटिलेटर और इनक्युबेटर यूनिट में इलाज से जन्म के ११० दिन बाद नवजात का वजन करीब २.५ किलोग्राम हो गया है।

एक माह में एक किलो तक बढ़े वजन
प्री-मैच्योर बेबी का एक माह में ८०० ग्राम से लेकर एक किलो के बीच वजन बढऩा चाहिए। हफ्ते में १०० ग्राम बढऩा हर हाल में जरूरी है। यदि बच्चे का वजन इस अनुपात में नहीं बढ़ता है तो इसका असर उसकी ग्रोथ पर पड़ सकता है। बच्चे को जरूरी दवाएं देने के साथ मदर फीडिंग पर ध्यान देना चाहिए। मां को भी प्रोटीन, विटामिन्स, मिनरल्स युक्त आहार लेना चाहिए। मां की सेहत बढिय़ा रहेगी तो बच्चे की अच्छी ग्रोथ होगी।

डॉ. प्रीथा जोशी
नियोनेटेलॉजिस्ट एवं पीडियाट्रिशियन, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल, मुंबई



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2PofqwP

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages