भाई-बहन के प्यार और रिश्ते में विश्वास का सबसे खास त्यौहार रक्षाबंधन हर वर्ष सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल 2018 में यह त्यौहार 26 अगस्त को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का त्यौहार कई रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है। त्यौहार आने के पहले से ही बाजार में सुंदर व मनमोहक राखियों की धूम मची रहती है। भाई-बहन के आपसी प्यार और रिश्ते को दर्शाता है यह त्यौहार। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र यानी राखी बांधती है और उससे अपनी रक्षा का वचन मांगती है वहीं भाई भी राखी बंधवाकर अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त प्रातः 5 बजकर 59 मिनट से आरंभ होकर शाम 5 बजकर 25 मिनट तक मान्य है।
ऐसे बनाएं वैदिक राक्षासूत्र
शास्त्रों में वैदिक विधि से बनी राखी सही मायने में रक्षआसूत्र कहलाती है। वैदिक विधि से बनी राखी ही बहनों को भाई के हाथ पर बांधनी चाहिए। हालांकि वैदिक राखी आपको स्वयं तैयार करनी होती है। आइए बताते हैं वैदिक राखी किस विधि से बनाई जाती है। वैदिक राखी बनाने के लिए आपको दूब, अक्षत यानी (चावल), चंदन, सरसों और केसर के सथ पीले रंग का रेशमी कपड़ा लें। रेशमी पीले कपड़े में इन पांचों चिजों को सील लें या बांध लें। इसके बाद आपकी वैदिक राखी तैयार हो जाती है। आप इसे अपने भाई की कलाई पर बांध सकते हैं। कई लोग वैदिक रक्षासूत्र बनाने के लिए हल्दी, कोड़ी का भी इस्तेमाल करते हैं। इस प्रकार वेदिक राखियों का खास महत्व होता है। कलाई पर रक्षासूत्र बंधे होने के कारण रक्त का बेहतर संचार होता है और शरीर में एक तरह के सकारात्मक ऊर्जा का संचरण होता है।
ऐसे सजाएं रक्षाबंधन की थाली
रक्षाबंधन के लिए थाली में सजाने के लिए राखी, कुमकुम, हल्दी, अक्षत (चावल), मिठाई आदि एकत्रित करके अपने मन मुताबिक इन सभी वस्तुओं को थाली में सजाएं। आखिर में थाली में घी डला हुआ दिया भी रखें, जिसे राखी बांधने के समय ही जलाएं। थाली में कुमकुम के प्रयोग से सबसे पहले 'स्वास्तिक' का निशान बनाएं। इसके बाद थोड़ा कुमकुम लेते हुए भाई को सबसे पहले तिलक लगाएं। तिलक के ऊपर अक्षत लगाएं और कुछ अक्षत भाई के सिर के ऊपर भी फेंके। ऐसा करना शुभ माना जाता है। इसके बाद राखी बांधें, मिठाई खिलाएं और भाई से अपनी रक्षा करने का संकल्प लें।
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