खराब जीवनशैली, तनाव, इम्यूनिटी कम होना और दवाओं से होने वाले संक्रमण से अक्सर लोगों को हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या हो जाती है। इसमें थायरॉइड ग्रंथि सामान्य से कम मात्रा में हार्मोंस स्रावित करती है।
लक्षण : इसमें व्यक्ति का वजन बढऩे लगता है और उसे तनाव, कब्ज, ठंड लगना व बाल झडऩे जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। इस रोग के लिए यूनानी पद्धति में तीन तरह से इलाज किया जाता है।
डाइटोथैरेपी : मरीज को सोया व दूध से बनी चीजों से परहेज करवाया जाता है। संतुलित आहार के साथ-साथ उन्हें नाशपाती, सेब और आयोडीन युक्त नमक सही मात्रा में लेना होता है।
अन्य उपचार -
कपिंग थैरेपी : गले के आसपास के खास बिंदुओं पर महीने में दो बार कपिंग थैरेपी की जाती है।
फारमाकोथैरेपी : थायरॉइड ग्रंथि की मजबूती के लिए इस थैरेपी में पीपल, दालचीनी, कलौंजी, काली मिर्च और अलसी का पाउडर या चटनी जैसी यूनानी हर्बल दवाएं 2-3 माह लेनी होती है।
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