भोजन के बाद पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द, सांस में तकलीफ, बुखार, उबकाई, उल्टी, आंखों व त्वचा में पीलापन जैसे लक्षण हों तो गॉल ब्लेडर में स्टोन की आशंका हो सकती है।
लिवर के नीचे पाचन प्रणाली से जुड़ा एक छोटा थैलीनुमा अंग होता है जिसे गॉलब्लैडर या पित्ताशय कहते हैं। लिवर से स्रावित पित्त यहां इकट्ठा होता है। भोजन जैसे ही आंतों में पहुंचता है गॉल ब्लेडर पित्त स्रावित करता है जिससे वसा पचती है। इस पित्त में कोलेस्ट्रॉल, बिलरुबीन व पित्त सॉल्ट होता है, जब ये तत्व गाढ़े हो जाते हैं तो हार्डस्टोन बन जाता है। गॉल स्टोन पित्त का प्रवाह रोकता है जिससे पाचनक्रिया गड़बड़ा जाती है।
कारण हैं कई
मोटापे व असंतुलित खानपान से गॉल स्टोन बनता है। यह वंशानुगत रोग भी है। गर्भवती महिलाओं व गर्भ निरोधक गोली लेने वाली महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा रहता है। गॉल स्टोन का पता चलते ही इलाज कराना चाहिए। हालांकि गॉल स्टोन दवाओं से भी डिजॉल्व किया जा सकता है लेकिन यह लंबी व अनिश्चित प्रक्रिया है। इसका प्रभावी उपचार सर्जरी है।
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