गलत साइज के जूते पहनना, बहुत ज्यादा चलना या दौडऩा और पैरों पर अतिरिक्त दबाव से पैरों के ऊपर या किनारों पर गोखरू बन सकता है। ऊंची एड़ी या पेंसिल हील पहनने से भी ऐसा हो सकता है। यही वजह है कि पुरुषों की तुलना में गोखरू यानी कॉर्न की समस्या महिलाओं को ज्यादा होती है। पैर की अंगुलियों की छोटी हड्डियां जोड़ों के पास ज्यादा व्यापक और ढेलेदार होती हैं। अगर इस त्वचा पर अधिक रगड़ (फ्रि क्शन) या दबाव पड़ता है तो यह मोटी हो जाती है जो कॉर्न या कैलस की वजह बनती है।
जूतों से भी दिक्कत -
दर्द वाले कॉर्न में जूतों को बदलने की सलाह या फिर अंगुलियों का उपचार किया जाता है।
रेत पर चलना -
अगर किसी के माता-पिता को यह बीमारी है तो उसे भी कॉर्न होने की आशंका रहती है। इसके लिए पहले से ही कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जिससे इसकी आशंका को कम किया जा सके जैसे बालू रेत पर नंगे पाव चलना, सही साइज के जूते चप्पल पहनना और पैरों की एक्सरसाइज करना आदि। बहुत ज्यादा ऊंची एड़ी की चप्पलें व बिना मोजे के जूते पहनने से बचें।
दोबारा होने का डर -
अगर आपने सही फुटवियर का चुनाव किया है तो एक बार कॉर्न को हटाने के बाद वह दोबारा नहीं होता। आजकल कई तरह के मेडिकेटेड प्रोडक्ट भी उपलब्ध हैं जो कैमिकल की सहायता से कॉर्न या कैलस की मोटी व मृत त्वचा को छीलकर बाहर निकाल देते हैं।
डायबिटीज में रखें ध्यान -
डायबिटीज में पैरों की समस्या काफी जटिल होती है। इसलिए ऐसे रोगियों को सलाह दी जाती है कि भले ही उनकी डायबिटीज कंट्रोल में हो, वे किसी भी प्रकार की खरोंच या चीरे से बचते हुए लिक्विड कॉर्न रिमूवल का प्रयोग करें।
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