रेड फ्लैग साइन यानी खतरे के निशान
जन्म के बाद शिशु एक नए तरह के वातावरण में आता है जहां उसका संपर्क संक्रमण, एलर्जी से होता है। यह शिशु की सेहत के लिए संक्रमणकाल माना जाता है। उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है जिससे बीमारियों-संक्रमण से बचाना बड़ी चुनौती होती है। नवजात अपनी बात कह नहीं सकता इसलिए उसे क्या परेशानी हो रही है इसे पहचानने के लिए डॉक्टर कुछ लक्षण पर ध्यान देते हैं। शिशु इस नए परिवेश में कैसे हैल्दी रहे इसके लिए सबको तैयारी करनी चाहिए।
इन लक्षणों की अनदेखी बिलकुल न करें-
- जन्म के बाद शिशु को सांस में तकलीफ होना
- वह ऐं-ऐं की आवाज निकाल रहा हो
- पसलियों में गड्ढे पड़ रहे हों
- हाथ पांव नीले पड़ गए हों
- बच्चे को दौरे आना शुरु हो गए हों
- हाथ-पांव बिलकुल ठंडे हो रहे हैं
- कहीं से ब्लीडिंग हो रही हो
- बच्चा असामान्य रूप से सुस्त पड़ा हो
- बच्चा दूध नहीं पी रहा हो
- बुखार आ रहा हो
बच्चे को यदि इस तरह की परेशानी गंभीर अवस्था का संकेत है और बच्चे को तुरंत चिकित्सकीय सहायता की जरूरत है। यहां जरा सी भी देरी खतरनाक साबित हो सकती है।
(एक्सपर्ट: डॉ. बी.एस. शर्मा, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ)
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