मां बनने की प्लानिंग है तो अपनी और बेबी की हैल्थ से जुड़ी ये बातें जान लें - My Breaking News

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Thursday, 28 March 2019

मां बनने की प्लानिंग है तो अपनी और बेबी की हैल्थ से जुड़ी ये बातें जान लें

गर्भवती महिलाओं के लिए टिप्स

प्रसव से पहले तक स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ (गायनेकोलॉजिस्ट) ही महिला की सेहत पर नजर रखते हैं। डिलीवरी के बाद शिशु रोग विशेषज्ञो की भूमिका अहम होती है। लेकिन यदि गर्भस्थ शिशु में किसी तरह की विकृति या समस्या का पता चलता है तो शिशु रोग विशेषज्ञ की मदद ली जाती है ताकि मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें। इस स्थिति में शिशु रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि किस-किस सप्ताह में किस तरह के टीके आदि लगवाने हैं।
गर्भवती इन बातों का ध्यान रखें
- समय से अपनी जांचें करवाना। खासकर वजन की जांच।
- गर्भावस्था के दौरान लगने वाले जरूरी टीके लग जाएं।
- डाइट में संपूर्ण पौष्टिक आहार लें।
- डॉक्टर की सलाह से नियमित एक्सरसाइज करना व एक्टिव रहना।
- गर्भ में पल रहे शिशु की ग्रोथ की जांच करवाते रहना ताकि कोई विकृति-समस्या हो तो समय पर पता चल सके और इलाज हो सके।
- डॉक्टर से डिलीवरी के समय होने वाली समस्याओं के बारे में पहले से जानकारी करना ताकि डिलीवरी के समय किसी तरह की घबराहट न हो।
- डिलीवरी किसी अस्पताल या प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी की देखरेख में ही प्लान करें।

दो तरह से होती है शिशु की जेनेटिक स्क्रीनिंग

1. जेनेटिक स्टडी- इसमें बच्चे के क्रोमोसोम्स यानी गुणसूत्र संबंधी विकारों जैसे गुणसूत्रों का कम या ज्यादा होने व इनसे होने वाली बीमारियों का पता लगाया जाता है। यदि शिशु को डाउन सिंड्रोम का खतरा है तो इस बारे में माता-पिता की काउंसलिंग जन्म से पहले ही शुरू की जा सकती है। इससे शिशु के अभिभावक व परिजन उसकी परवरिश को लेकर अपने को तैयार कर सकते हैं। जेनेटिक स्टडी गर्भावस्था के 20वें सप्ताह में की जाती है। इसमें गर्भस्थ शिशु का ब्लड सैंपल लेकर उसकी जीन स्टडी की जाती है। इस जांच से पता चल जाता है कि आने वाला शिशु कितनी स्वस्थ होगा या उसे किस-किस तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
2. मेटाबॉलिक स्क्रीनिंग- यह जन्म के बाद करते हैं। इसमें उन एंजाइम्स की जांच की जाती है जो शिशु की मेटाबॉलिक प्रणाली को गड़बड़ा सकते हैं। असामान्य मेटाबॉलाइड्स जमा होने से बच्चे का मानसिक-शारीरिक विकास पर असर पड़ सकता है। मेटाबॉलिज्म का मतलब उस प्रक्रिया से है जो हमारे भोजन को पचाकर एनर्जी में बदलती है।

(एक्सपर्ट: डॉ. बी.एस. शर्मा, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ)



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2OuXDUJ

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages