एक नए शोध में पैंक्रियाटिक कैंसर के मरीजों में पीएचएलपीपी1 व पीकेसी एंजाइम के स्तरों के इस्तेमाल से लाभ मिलने की बात कही गई है। इससे शोधकर्ता नई चिकित्सकीय दवाएं विकसित कर सकते है, जो दोनों एंजाइमों के संतुलन को बदलेगा। इस प्रकिया से पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे लोगों के इलाज में सहयोग मिलेगा।इस शोध का प्रकाशन 'मॉलिक्यूलर सेल' में किया गया है। इस शोध को सैन डिएगो के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के फॉर्माकोलॉजी विभाग के एलेक्जेंड्रा न्यूटन व टिमोथी बाफी ने किया है।
नया शोध साल 2015 के टीम वर्क पर आधारित है, जिसमें पाया गया कि एंजाइम पीकेसी वास्तव में पैंक्रियाटिक कैंसर को रोकने का कार्य करता है। इसके पिछले अध्ययन में माना गया था यह ट्यूमर की वृद्धि को बढ़ाता है।
हालिया शोध में पता चला है कि कोशिकाएं कैसे पीकेसी को नियंत्रित करती है और पीकेसी की ज्यादा सक्रियता का पता लगाती हैं।
न्यूटन ने कहा, ''इसका मतलब है कि पीएचएलपीपी1 आपकी कोशिकाओं में पीकेसी की मात्रा तय करता है।यह पैंक्रियाटिक कैंसर के लिए एंजाइम स्तरों में बदलाव लाता है।"
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