बेन्जोल पैरॉक्साइड : मुंहासों के उपचार के लिए बनने वाले उत्पादों में इस रसायन का उपयोग किया जाता है। हालांकि यह बहुत कम मात्रा में प्रयोग किया जाता है। इससे त्वचा में रूखापन होने के साथ खुजली भी हो जाती है। जिन लोगों की त्वचा संवेदनशील है, उन्हें इससे जलन, खुजली व सूजन आदि की परेशानी हो सकती है। इसे कैंसर कारक भी माना जाता है।
ट्राइक्लोसन : बाजार में मौजूद कई एंटीबैक्टीरियल साबुन व सौंदर्य प्रसाधनों में इसका प्रयोग किया जाता है। इसके फायदे के कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं। हालांकि यह माना गया है कि यह रसायन त्वचा में खुजली पैदा करने के साथ थायरॉइड हार्मोन की सामान्य क्रिया प्रभावित करता है।
फॉर्मलडीहाइड : इसका प्रयोग सामान्यत: बॉडी वॉश, शैम्पू और कंडीशनर्स आदि में किया जाता है। माना जाता है कि यह एंटीबैक्टीरियल ग्रोथ रोकता है। कैंसर के कारणों की खोज करने वाली कई एजेंसीज के मुताबिक यह रसायन कैंसर का खतरा बढ़ाता है।
पीईजी-6 : साबुन में प्रयोग किए जाने वाला यह पदार्थ कैंसर का खतरा बढ़ाता है।
पैराबेन : सौंदर्य प्रसाधनों में इसका प्रयोगे प्रिजरवेटिव के रूप में किया जाता है। अधिकतर यह बॉडीवॉश, शैम्पू, साबुन और क्लिंजर्स आदि में मिलाया जाता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह रसायन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।
डी एंड सी येलो 11 : स्किन केयर और अन्य ब्यूटी उत्पादों में उपयोग किए जाने वाले रंगों को प्रिफिक्स डी एंड सी (ड्रग प्रिपरेशंस एंड कॉस्मेटिक्स) कहा जाता है। यह रसायन तब तक ही सुरक्षित है, जब तक शरीर इसे न सोखे। आंखों के आसपास के बाहरी हिस्सों के लिए यह नुकसानदायक माना जाता है।
खुशबू : इसका इस्तेमाल, साबुन, डियो, परफ्यूम, शैंपू व क्लिंजर्स सहित ज्यादातर ब्यूटी उत्पादों में किया जाता है। इससे कई बार एलर्जी, खुजली या त्वचा संबंधी कोई अन्य परेशानी, सांस संबंधी तकलीफ होने के अलावा सिरदर्द या माइग्रेन आदि की समस्या हो सकती है।
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