स्ट्रेस की वजह
जी मिचलाना, कब्जियत, थकान और पीठ का दर्द।
हार्मोन में बदलाव से मूड स्विंग।
प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले पेन और शिशु के पालन-पोषण की चिंता।
गर्भपात का डर, मृत या अस्वस्थ बच्चे का डर या ऑपरेशन का डर।
परिवार वाले लड़का या लड़की की उम्मीद लगाए बैठे हों, तो उससे अलग, नतीजा आने का डर।
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समाधान
गर्भवती महिला को अपनी चिंता के बारे में पार्टनर या डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
समझना चाहिए कि ज्यादातर समस्याएं प्रसव के पश्चात् खत्म हो जाएंगी।
चिकित्सक की सलाह से हल्की फुल्की एक्सरसाइज करना चाहिए।
दिन में एक-दो घंटे कॉमेडी शोÓज देखें, हंसी मजाक करें और मित्रों परिवार के सदस्यों से गपशप करें।
मेडिटेशन और योग का सहारा लें।
किसी चाइल्ड बर्थ एजूकेशन क्लास को ज्वाइन करें।
स्मिता गुटगुटिया, स्त्री रोग विशेषज्ञ
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