मई की सात तारीख को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली यह तिथि इस बार अत्यंत ही शुभकारी और सौभाग्यशाली मानी गई है। इस दिन को अबूक्ष मुहूर्त भी माना जाता है।
माना जाता है कि इस दिन मांगलिक कार्यों से लेकर कोई भी शुभ काम बिना किसी मुहूर्त के कर सकते हैं। इस साल आने वाली अक्षत तृतीया अपने आप में खास है। दरअसल, इस बार अक्षय तृतीया पर चार ग्रहों का विशोष संयोग बन रहा है, जो लोगों के लिए शुभकारी होगा।
पंडित धर्मेंद शास्त्री बताते हैं कि अक्षय तृतीया के लिए अति उतम होता है। इस दिन किए गए काम कभी व्यर्थ नहीं जाते। पुराणों के अनुसार, त्रेता युग का प्रारंभ इसी दिन से माना जाता है। भगवान परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ था। कहा जाता है कि इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरीत हुई थी, यही कारण है कि इस दिन गंगा स्नान का चलन भी है।
मानव जीवन पर होगा बेहतर प्रभाव
बताया जा रहा है कि इस साल अक्षय तृतीया का अद्भुत संयोग बन रहा है। ऐसा पूरे एक दशक के बाद हो रहा है। इससे पहले 2003 में पांच ग्रहों का ऐसा योग बना था और इस साल एक बार फिर संयोग बनेगा। इस बार चार ग्रह सूर्य, शुक्र चंद्र और राहु अपनी उच्च राशि में गोचर करेंगे। इससे मानव जीवन पर इनका बेहतर प्रभाव होगा। कुंडली के हिसाह से ग्रहों के प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं।
सोना-चांदी के आभूषण खरीदने का है विधान
अक्षय तृतीया के दिन सोना या चांदी के आभूषण खरीदने का विधान है। इस दिन कई लोग घर में बरकत के लिए सोने या चांदी के की लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखते हैं और नियनित पूजा करते हैं।
दान करने का भी प्रावधान
इस दिन पितरों की प्रसन्नता और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए ब्राह्मण को जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा, फल, शक्कर, घी आदि दान करना चाहिए। माना जाता है कि कन्या दान सभी दान में महत्वपूर्ण है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन शादी-विवाह के विशेष आयोजन होते हैं।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2vqtaPb
No comments:
Post a Comment