वरूथिनी एकादशी वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कहा जाता हैं । इस साल 2019 में यह 30 अप्रैल मंगलार के दिन हैं । इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है । शास्त्रोंक्त ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत और विधि पूर्वक पूजा उपासना करने से बड़ी से बड़ी समस्या भी छूमंतर हो जाती है, पुण्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है । ज्ञात अज्ञात पापों के दुष्फल से छुटकारा मिल जाता है । अगर इस दिन ये छोटा सा कार्य कर लिया जाये तो जीवन की समस्त बाधाएं दूर हो जाती है ।
वरूथिनी एकादशी व्रत पूजा विधि
वरूथिनी एकादशी के दिन भगवान मधुसूदन और विष्णु के वराह अवतार की पूजा की जाती है । इस एकादशी का व्रत रखने के लिए एक दिन पहले ही संकल्प लेकर कुछ नियमों का पालन दृड़ता पूर्वक करना चाहिए । दशमी तिथि के दिन संभव हो तो केवल एक ही समय सात्विक भोजन करना चाहिए । एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा अर्चना करें । रात में भगवान के नाम भजन कीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए ।
वरूथिनी एकादशी व्रत करने वाले इन नियमों का पालन अवश्य करें-
- इस दिन कांसे के बर्तन में भूलकर भी भोजन नही करना चाहिए ।
- मांस मदिरा, मसूर की दाल, चने व कोदों की सब्जी एवं शहद का सेवन भी नहीं करना चाहिए ।
- भूमि शयन करते हुए कामवासना का त्याग करना चाहिए ।
- व्रत वाले दिन किसी भी प्रकार के गलत काम नहीं करना चाहिए ।
- इस दिन दिन पान खाने और दातुन करने से बचना चाहिए है ।
- किसी भी बुराई और चुगली नहीं करना चाहिए ।
- इस दिन उपावास रखने वाले जातक क्रोध न करें और न ही झूठ बोलें ।
- वरूथिनी एकादशी के दिन नमक, तेल और अन्न वर्जित है ।
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