आज की युवा पीढ़ी हाइपर टेंशन, मानसिक तनाव, एसिडिटी आदि कई समस्याओं से परेशान है। पहले ये समस्याएं 40 साल की उम्र के बाद होती थीं लेकिन अब खराब जीवनशैली के कारण ये समस्याएं 20 वर्ष के युवाओं में भी नजर आने लगी है।
क्या आपकी उम्र 20 वर्ष है? या बेटे या बेटी की उम्र 20 वर्ष के करीब है? ऐसे में आप सबसे ज्यादा टेंशन बच्चे के कॅरियर के बारे में करते हैं। हो सकता है कि आप सही हों लेकिन आपको अपने बच्चे के कॅरियर के साथ-साथ उसकी सेहत पर भी ध्यान देना चाहिए। अब 20 वर्ष की उम्र में कदम रखने वाले युवाओं को ऐसी बीमारियां और समस्याएं हो रही हैं जो पहले 40 वर्ष की उम्र के लोगों को हुआ करती थीं। अब डॉक्टरों के पास जाने वाले लोगों में युवाओं की संख्या बढ़ रही है।
गलत खानपान का असर
आज के युवा स्वाद के चक्कर में पोषक तत्वों से भरपूर खानपान की बजाय कुछ भी उल्टा-सीधा जैसे चिप्स, नूडल्स, मोमोज आदि खाना पसंद करते हैं जो फैट बढ़ाने के साथ-साथ आंतों पर भी भारी पड़ते हैं। इससे पाचनक्रिया गड़बड़ाती है और एसिडिटी, अपच व कब्ज जैसी दिक्कतें होती हैं। अधिक वसायुक्त भोजन से हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है। अब भारत में 30 साल से कम उम्र के युवाओं में दिल के दौरों का खतरा तेजी से बढऩे लगा है। डाइट में संतुलित आहार लें। मौसमी फल जरूर खाएं।
एक्टिविटी की कमी
युवा पीढ़ी शारीरिक एक्टिविटी कम करती है और उनका दिमाग हर समय कुछ न कुछ सोचता रहता है। ऐसे में मनोवैज्ञानिक तनाव होता है और वे सही निर्णय नहीं ले पाते। इसका असर पढ़ाई और कॅरियर पर भी पड़ता है। व्यायाम न करने से मोटापा, ब्लड प्रेशर, तनाव और डायबिटीज जैसी लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याएं भी युवाओं में आम हैं। रोजाना आधे से एक घंटे तक व्यायाम करें। 10 से 15 मिनट का ध्यान तनाव दूर करेगा।
अपार्यप्त नींद से घटती एनर्जी
अनुसंधान बताते हैं कि नींद में गड़बड़ी के कई कारण हैं, पर युवाओं में नींद से जुड़ी समस्याओं का सबसे बड़ा कारण रात में सोशल मीडिया का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करना है। कई युवा रात को सोते समय घंटों अपने फोन में लगे रहते हैं।
वाट्सएप या फेसबुक से नींद बाधित होती है। इससे दिमाग स्थिर नहीं रहता और गहरी नींद नहीं आ पाती। नींद पूरी न होने से धीरे-धीरे एनर्जी लेवल गिरता जाता है और चिड़चिड़ापन आता है। आगे चलकर स्थिति तनाव में बदल जाती है। रात को जल्दी सोने व सुबह जल्दी उठने की आदत डालें।
संतुलन बनाएं
युवा पीढ़ी पर नौकरी के दौरान आज काफी दबाव है जिससे उनके व्यक्तित्व में चिड़चिड़ापन व आक्रामकता आ जाती है। जीवन में असंतुलन की वजह से वे जल्द ही हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से ग्रसित हो जाते हैं।
उन्हें चाहिए कि परिस्थितियों के लिए खुद को पहले से तैयार रखें और किसी भी बात को दिल पर न लें। निजी बातों को दोस्त, साथी या परिवार के किसी सदस्य के साथ जरूर बांटेंं और बेवजह का तनाव न पालें। इसके अलावा धूम्रपान, शराब व तंबाकू से बचें।
जल्दी हो रहे बूढ़े
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में छपे शोध के अनुसार आजकल कुछ युवा अपनी उम्र से तिगुनी गति से बूढ़े हो रहे हैं जिसकी वजह खराब जीवनशैली के कारण उनमें तेजी से बढ़ रहे किडनी, लिवर व हृदय संबंधी रोग हैं। इन रोगों में कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा, दांतों से जुड़ी समस्या, रक्तवाहिनियों का सिकुडऩा और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी भी शामिल है।
सही प्लानिंग
उम्र के 20वें पड़ाव पर पहुंचते ही युवाओं को जीवन की सही तरह से प्लानिंग शुरू कर देनी चाहिए। जीवन की प्लानिंग करते समय सेहत के पहलू पर भी पूरी तरह ध्यान दें। इस दौर में युवा माता-पिता का दामन छोडक़र दुनिया का सामना करने के लिए तैयार होते हैं। ऐसे दौर में शरीर में पूरी ऊर्जा होना आवश्यक है। युवाओं को शुरुआत में सब कुछ अच्छा और आकर्षक लगता है लेकिन कई बार बाद में पता लगता है कि वे गलत राह पर हैं।
इसलिए कोई भी बड़ा फैसला लेने के पहले दस बार सोच लेना चाहिए। जीवन की असलियत को समझकर अपने लक्ष्य बनाने चाहिए। तनाव की बजाय सकारात्मक और खुश रहना चाहिए। जरूर से ज्यादा आराम, और जरूरत से ज्यादा काम से भी बचें। लेकिन यदि इन सबके बावजूद आपको रोग सताएं तो डॉक्टरी सलाह भी लें।
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