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Tuesday, 14 August 2018

इसलिए मनाया जाता हैं नागपंचमी का त्यौहार- जाने गुढ़ रहस्य

हिन्दू धर्म में नागपंचमी पर्व के दिन उपवास रख, पूजन करना अत्यंत ही लाभकारी माना जाता हैं, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी का पर्व प्रत्येक वर्ष श्रद्धा और विश्वास से मनाया जाता है, इस दिन नाग देवता की कथा का स्वयं पाठ या श्रवण करना भी शुभ होता है, साथ ही विधि-विधान से नागों की पूजा करने पर नागदेवता प्रसन्न हो जाते हैं । नागपंचमी के संबंध में कई ऐसी रोचक कथाएं हैं जिनकों पढ़या सुनकर आश्चर्य होतै है । जाने क्या है नागपंचमी का महत्व ।


नाग पूजा से मृत भी जीवित हो उठे
नाग पंचमी के विषय में कई कथाएं प्रचलन में है, उनमें से एक के अनुसार किसी राज्य में एक किसान अपने दो पुत्र और एक पुत्री के साथ रहता था । एक दिन खेतों में हल चलाते समय किसान के हल के नीचे आने से नाग के तीन बच्चे मर गयें, नाग के मर जाने पर नागिन ने शुरु में विलाप कर दु:ख प्रकट किया फिर उसने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने के लिए एक दिन रात्रि के अंधकार में नागिन ने किसान व उसकी पत्नी सहित दोनों लडकों को डस लिया । अगले दिन प्रात: किसान की पुत्री को डसने के लिये नागिन फिर चली तो किसान की कन्या ने उसके सामने दूध का भरा कटोरा रख दिया, और नागिन से वह हाथ जोडकर क्षमा मांगले लगी । नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाईयों को पुन: जीवित कर दिया । उस दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी, उसी दिन से नागों के कोप से बचने के लिये नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है ।

 

पूजन विधि


नागपंचमी के दिन सुबह नहा धोकर घर के दरवाजे पर पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाये, औऱ मुख्य द्वार के दोनों ओर दूध, दूबा, कुशा, चंदन, अक्षत, पुष्प आदि से नाग देवता की पूजा करें । इसके बाद मिष्टान्न का भोग लगाया जाता है । अगर इस दिन कोई सर्प को दूध से स्नान कराता हैं तो उसे जीवन भर सांपों का भय नहीं रहता है । नागपंचमी के दिन अगर महिलाएं उपवास रख, विधि विधान से नाग देवता की पूजा करती हैं तो परिवार की सुख -समृद्धि में वृद्धि होती है, और परिवार के सदस्यों को सर्पदंश का भय नहीं रह्ता है ।

 

इस दिन देश के कई हिस्सों में नागपंचमी के एक दिन पहले भोजन बनाकर रख लिया जाता है, और नागपंचमी के दिन बासी खाना खाया जाता है । कहा जाता हैं कि नागपंचमी के दिन, धरती खोदना या धरती में हल चलाना, नींव खोदने मनाही होती है ।

 

इस मंत्र से करे नाग देवता की पूजा
नागपंचमी कि पूजा करते समय इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप या उच्चारण अवश्य करना चाहिए । इस मंत्र के नियमित जप से कालसर्प दोष की शान्ति भी होती है ।

 

मंत्र
" ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा"

Nag Panchami pooja

from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2nBYfeA

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