बारिश में सर्दी जुकाम, बुखार, गले में खराश और पेट संबंधी रोग तेजी से फैलते हैं। यह तीन कारणों से होते हैं। पहला बारिश में भीगने, दूसरा घर या दफ्तर में सीलन और तीसरा संक्रमित व दूषित पानी पीने से। कई बार तेज धूप व अचानक बारिश में भीगने से शरीर का तापमान असंतुलित हो जाता है जिससे सर्दी, जुकाम, बुखार होता है। तो आइए जानते हैं होम्योपैथी में बारिश के मौसम में होने वाले रोगों का कैसे होता है उपचार।
भीगने से: बारिश में भीगने से ठंड लगने के साथ बुखार आ सकता है। बुखार से सिरदर्द व बदन दर्द भी होता है। देर तक भीगे रहने से व्यक्ति को ठंड लगकर बुखार भी आ सकता है। ऐसे में रोगी को रसटॉक्स दवा दी जाती है। इससे काफी फायदा होता है। ठंड के साथ बुखार आ रहा है तो बेलाडोना दी जाती है। शरीर में पानी की कमी से गले में संक्रमण की तकलीफ खराश होती है। दो से तीन लीटर पानी पीना चाहिए। आराम न मिले तो तुरंत डॉक्टरी परामर्श लें।
सीलन से : सीलन की वजह से भी संक्रमण होता है। सांस संबंधी दिक्कत अधिक होती है। सर्दी जुकाम, बुखार भी हो सकता है। जिसे सांस संबंधी समस्या है उसे ऐसी जगह रहने से बचना चाहिए। ध्यान रहे जहां पर सांस का रोगी रह रहा है उसका बिस्तर साफ-सुथरा और सूखा होना चाहिए। कपड़े साफ होने के साथ सूखा भी रहना चाहिए। कमरे, कपड़े या बिस्तर की सीलन भरी दुर्गंध उसकी तकलीफ को बढ़ा सकती है। सीलन की वजह से होने वाले संक्रामक रोगों में डल्कामारा दवा दी जाती है।
दूषित खाना-पानी : दूषित खाना या पानी पीने से भी संक्रामक रोग हो सकते हैं। सबसे ज्यादा पेट संबंधी रोग होते हैं। इससे पेट दर्द के साथ उल्टी-दस्त हो सकता है। दूषित खाना खाने से दिक्कत होने पर आरसेनिक दवा कारगर है। गंदा पानी पीने से बीमार होने पर चाइना होम्योपैथिक दवा कारगर है।
पानी उबाल और छान कर पीएं: बारिश में पानी उबालें और छान कर पीएं। पानी उबालने से मौजूद हानिकारक तत्त्व खत्म हो जाते हैं। गंदा पानी से ही पेट में कीड़े होने की तकलीफ होने का खतरा रहता है।
बच्चों का रखें खयाल
बरसात में हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से बचें। पत्तों में हानिकारक बैक्टीरिया जम जाते हैं जो पकाने के दौरान भी खत्म नहीं होते हैं। बच्चों का खास खयाल रखना चाहिए। बरसात के मौसम में बच्चों को भीगने से बचाएं। भीग गए हैं तो शरीर अच्छे से साफ करें। कूलर, पंखा और एसी में शरीर को सुखाने की कोशिश न करें।
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