यूं तो हिन्दी सिनेमा युवा प्रधान है और समूचा फिल्म उद्योग युवा, उसकी सोच और मांग को ध्यान में रखकर फिल्मों का निर्माण करता है,लेकिन बाल कलाकारों ने इस व्यवस्था को अपने दमदार अभिनय से लगातार चुनौती दी है। बाल फिल्मों की गिनीचुनी संख्या और बाल कलाकारों को मुख्यधारा के सिनेमा में कम जगह मिलने के बावजूद इन कलाकारों का इतिहास भरपूर रोशन है।
इनमें बेबी तबस्सुम, मास्टर रतन, डेजी ईरानी, पल्लवी जोशी, मास्टर सचिन,नीतू सिंह,पद्मिनी कोल्हापुरे और उर्मिला मातोंडकर का नाम काफी मशहूर हुआ।
ये बाल कलाकार बने बालीवुड के जाने माने स्टार्स:
सत्तर के दशक में ऐसे कई बाल कलाकार भी हुए जिन्होंने बाद में बतौर अभिनेता और अभिनेत्री बनकर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अमिट छाप छोड़ी। ऐसे ही बाल कलाकारों में नीतू सिंह, पद्मिनी कोल्हापुरी और सचिन प्रमुख हैं। सत्तर के दशक में नीतू सिंह ने कई फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर अभिनय किया। फिल्म दो कलियां में नीतू सिंह की दोहरी भूमिका को दर्शक शायद ही कभी भूल पाएं। इस फिल्म में उन पर फिल्माया यह गीत 'बच्चे मन के सच्चे ..' दर्शको के बीच आज भी लोकप्रिय है।
बतौर बाल कलाकार पद्मिनी कोल्हापुरे ने की ये फिल्में:
70 के दशक में बाल कलाकार के तौर पर फिल्म इंडस्ट्री में पद्मिनी कोल्हापुरे ने भी अपनी धाक जमायी थी। बतौर बाल कलाकार उनकी महत्वपूर्ण फिल्मों में 'सत्यम शिवम सुंदरम','ड्रीमगर्ल','जिंदगी','सजना बिना सुहागन' आदि शामिल है। 80 के दशक में बाल कलाकार अपनी भूमिका में विविधता को कुशलतापूर्वक निभाकर अपनी धाक बचाने में सफल रहे। निर्देशक शेखर कपूर ने एक ऐसा ही प्रयोग किया था फिल्म 'मासूम'में जिसमें बाल कलाकार जुगल हंसराज ने अपनी दमदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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