तन-मन की तंदुरुस्ती के लिए करें खाटू प्रणाम योग, जानें इसके बारे में - My Breaking News

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Tuesday, 26 February 2019

तन-मन की तंदुरुस्ती के लिए करें खाटू प्रणाम योग, जानें इसके बारे में

खाटू प्रणाम दैनिक जीवन में योग नामक शैली में महत्वपूर्ण भाग है। यह सूर्य नमस्कार से अलग है क्योंकि यह 20 अवस्थाओं से पूर्ण होती है। जानते हैं खाटू प्रणाम को करने के तरीकों के बारे में:

20 अवस्थाओं में खाटू प्रणाम -
(श्लोक उच्चारण के साथ मुद्राएं) सर्वप्रथम वज्रासन में बैठें। सिर व शरीर का ऊपरी हिस्सा एक सीध में रहेगा। हाथ जांघों पर रहेंगे।

मंत्र : असतो मा सद्गमय।
मुद्रा : गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं। दोनों हथेलियों को मिलाएं, कधों से ऊपर तनी भुजाएं कानों के पास हों, कमर का निचला हिस्सा पीछे की ओर दबेगा, सिर थोड़ा पीछे झुकेगा, नजर हथेलियों की तरफ।

मंत्र : तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मुद्रा : सांस छोड़ते हुए कमर से आगे की तरफ झुकें लेकिन कमर सीधी और नजर भुजाओं पर रखते हुए माथे से जमीन को छुएं। नितंब एडिय़ों पर ही रहें (शशांकासन की तरह)।

मंत्र : मृत्योर्माअमृत गमय।
मुद्रा : सांस रोकते हुए (कुंभक) शरीर को आगे ले जाएं। हथेलियां अपनी जगह, जांघ व कमर थोड़ी उठी हुई, पैर जमीन से सटा न हो, कोहनियां दोनों तरफ आकाश की तरफ इंगित करती हुई हों।

मंत्र : सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु ।
मुद्रा : सांस लेते हुए (पूरक) पेट का निचला हिस्सा जमीन के पास लाएं, सिर व धड़ को पीछे की ओर तानें, भुजाएं सीधी अथवा कोहनी के पास जरा सी झुकी हों। पैर सीधे व पंजे जमीन पर टिकाएं।

मंत्र : सर्वेषां शान्तिर्भवतु ।
मुद्रा : सांस छोड़ते हुए (रेचक) कमर को ऊपर उठाएं जिससे शरीर पर्वताकार (पर्वतासन) हो जाए। सिर ढीला छोड़ते हुए लटका दें, नजर नाभि की तरफ, पैर सीधे व एडिय़ां जमीन पर टिकाएं।

मंत्र : सर्वेषां मंगलं भवतु ।
मुद्रा : सांस लेते हुए दाएं पैर को मोड़कर आगे लाते हुए दोनों हथेलियों के बीच में रखें, पैर जमीन के समकोण व जंघा शरीर से सट जाए। बायां घुटना जमीन पर टिका रहे, बाएं पैर की अंगुलियां जमीन पर टिकाएं।

मंत्र : सर्वेषां पूर्णं भवतु।
मुद्रा : सांस रोकते हुए हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं, हथेलियां मुड़ी हुई, पीछे की तरफ झुकें, नजरें आकाश की तरफ रखें। शरीर को हल्का रखें। मन में कोई तनाव ना रखते हुए शांत होकर इसे करें।

मंत्र: लोको: समस्ता: सुखिनो भवन्तु।
मुद्रा : सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों को नीचे लाएं। पैर दोनों हथेलियों के बीच में रहें ताकि हथेलियां समकोण रहें। जांघ शरीर से सटी हो, पीठ को हल्का सा पीछे झुकाते हुए कमर को जमीन की तरफ दबाएं।

मंत्र : ओम द्यौ: शान्ति:।
मुद्रा : सांस रोकते हुए बाएं पैर को दाएं पैर के पास लाएं और पैरों को सीधा रखें। कमर से ऊपर का हिस्सा सामने की ओर झुकाएं व सिर को ढीला छोड़ दें ताकि अंगुुलियां जमीन को छू लें, शरीर व सिर खिंचाव रहित। शांत मन से किया योग आपको ऊर्जा से भरता है।

मंत्र : ओम अन्तरिक्षं शान्ति:।
मुद्रा : सांस लेते हुए हाथों व शरीर को तानते हुए ऊपर ले जाएं, हथेलियां मिला लें, थोड़ा पीछे झुकते हुए हथेलियों को देखें। इस योग में जल्दबाजी दिखाना कई समस्याओं को जन्म दे सकता है।

मंत्र : ओम पृथिवी शान्ति:।
मुद्रा : सांस छोड़ते हुए हुए शरीर को आगे झुकाएं, सिर ढीला छोड़ें, हथेलियां या अंगुलियां जमीन को छुएं, शरीर व सिर तनाव रहित रहें। प्रसन्न भाव से किया योग अधिक लाभ देता है। (नौवीं अवस्था में)।

मंत्र : ओम आप: शान्ति:।
मुद्रा : सांस लेते हुए दायां पैर पीछे ले जाकर इसकी अंगुलियों को जमीन पर टिकाएं, आकाश की तरफ देखें। चित्त को बिल्कुल शांत और शरीर को आरामदायक स्थिति में रखें। (आठवीं अवस्था जैसे)।

मंत्र : ओम औषधाय: शान्ति:।
मुद्रा : सांस रोककर हाथों को ऊपर ले जाएं, दोनों हथेलियां जोड़ते हुए सातवीं अवस्था में आएं।

मंत्र : ओम वनस्पतय: शान्ति:।
मुद्रा : सांस छोड़ते हुए हथेलियों को जमीन पर टिकाएं, पीठ को पीछे झुकाते हुए कमर को दबाएं, सिर थोड़ा पीछे झुकाएं व ऊपर देखें।

मंत्र : ओम विश्वे देवा शान्ति:।
मुद्रा : सांस रोकते हुए बाएं पैर को दाएं पैर के बराबर लाएं, कमर पर्वतासन में, सिर ढीला छोड़ें, नजर नाभि की तरफ (पांचवीं अवस्था)।

मंत्र : ओम ब्रह्म: शान्ति:।
मुद्रा : सांस लेते हुए पेट का निचला हिस्सा जमीन के पास लाएं, शरीर का ऊपरी भाग उठाते हुए ऊपर देखें, सिर व धड़ पीछे की ओर तानें, सिर पीछे की तरफ झुका, नजरें ऊपर।

मंत्र : ओम सर्वं शान्ति:।
मुद्रा : सांस रोकते हुए ठोढ़ी व सीने से जमीन छुएं, हथेलियां अपनी जगह, पेट जमीन से सटा न हो, कोहनियां शरीर के दोनों तरफ ऊपर आकाश की ओर इंगित करती हुई हों।

मंत्र : ओम शान्तिरेव शान्ति: ।
मुद्रा : सांस छोड़ते हुए शरीर को जमीन के बराबर पीछे ले जाएं, नितंब एडिय़ों पर टिके हुए, कमर सीधी,नजर भुजाओं पर रहें जब तक कि ललाट जमीन न छू ले (शशांकासन में)।

मंत्र : ओम सा मा शान्तिरेन्धि ।
मुद्रा : सांस लेते हुए हाथों व ऊपरी शरीर को उठाते हुए पीठ सीधी रखें, हथेलियां मिलाते हुए हाथ सिर पर भुजाओं को कंधों से ऊपर जितना खींच सकें, खींचें। कमर का निचला हिस्सा पीछे की ओर दबेगा, सिर थोड़ा पीछे झुकेगा, नजर हथेलियों पर।

मंत्र: ओम शान्ति: शान्ति: शान्ति:।
मुद्रा : सांस छोड़ते हुए वज्रासन में लौटें। शरीर को ढीला छोड़ दें।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2U7kNCI

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages