अनुलोम—विलोम करने के लिए स्वच्छ व वातावरण में सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। आंखें बंद कर लें और सिर व रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। ध्यान की मुद्रा में बाएं हाथ की हथेली को ज्ञान मुद्रा में बाएं घुटने पर रख लें। दाएं हाथ के अंगूठे से दाएं नासिका को बंद करें। बाएं नासिका से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नासिका से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकालें। दाएं नासिका से सांस भरें और अंगूठे से उसे बंद कर दें। इस सांस को बाएं नासिका से बाहर निकालें। यह क्रिया पांच बार करें। शुरुआत 10 चक्र से कर सकते हैं। इसे खाना खाने के तीन घंटे बाद व शाम को भोजन से एक घंटे पहले कर सकते हैं।
मन शांत होता है
इससे एकाग्रता व मन शांत होता है। क्रोध कम करता है। उच्च रक्तचाप में लाभकारी है। पाचन व अंत:स्रावी ग्रंथियां सही से काम करती हैं। जीवनशैली संबंधी बीमारियों डायबिटीज, थायराइड, अनिद्रा, हाइपर टेंशन में बेहद प्रभावकारी है। हार्मोन का संतुलन सही करता है। मिर्गी के रोग में भी अच्छे नतीजे देता है।
हार्ट के मरीज बिना चिकित्सकीय सलाह के न करें
ऐसे लोग जिन्हें ब्लॉकेज की समस्या, हार्ट अटैक संबंधी दिक्कत है उन्हें कुंभक नहीं करना चाहिए। बिना चिकित्सकीय परामर्श व विशेषज्ञ की सहायता के नहीं करें। अपने मन से करने से दिक्कत हो सकती है।
- डॉ. चंद्रभान शर्मा, योग विशेषज्ञ, एसआर आयुर्वेद विवि, जोधपुर
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