दांतों की टक्कर से मसूड़े खराब होते
कुछ बच्चों में नीचे के दांत ऊपर तालु से टकराते हैं जिससे आगे चलकर मसूड़े खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। मसूड़े खराब होने से दांत कमजोर होने लगते हैं और हिल-हिल कर गिर जाते हैं। इसी तरह दांत के ऊपर दांत आने की समस्या भी होती है। इसमें होता यह है कि दूध के दांत टूटते नहीं हैं और उसके ऊपर ही नया पक्का दांत आ जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि लोग मानते हैं कि दूध का दांत एक न एक दिन अपने आप ही गिर जाएगा लेकिन जब वह नहीं टूटता है तो नया दांत अपने लिए जगह बनाकर दूध के दांत के ऊपर ही मसूड़ों पर आने लगता है। जिन लोगों में दूध का दांत गिरा नहीं है और नया दांत आ रहा है तो उन्हें किसी दंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि दूध के दांत को निकालकर नए दांत के लिए जगह बनाई जा सकती है। दांतों में समस्या होने पर मसूड़े और जबड़े दोनों खराब हो सकते हैं।
इसलिए बच्चों के दांत होते हैं खराब
अक्सर बच्चे रात में मीठा खाकर बिना ब्रश किए सो जाते हैं। इससे दांतों में सडऩ की समस्या हो सकती है। बच्चों को रात में मीठा खिलाने से बचें, दूध भी बिना चीनी के दें। एक साल की उम्र से ही बच्चों को ब्रश करने की आदत डालनी चाहिए। बच्चों के दांत मजबूत हों इसलिए डेयरी प्रोडक्ट अधिक दें । डेयरी प्रोडक्ट से दांतों की मजबूती के लिए कैल्शियम मिलता है
टूथब्रश टॉयलेट से छह फीट दूर रखें
डेंटिस्ट का कहना है कि टूथब्रश टॉयलेट से छह फीट दूर रखें । अगर कोई अपना ब्रश टॉयलेट में रखता है तो बैक्टीरिया से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। दांतों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देने से ये अंदर ही अंदर बढ़ती रहती हैं। फिर अचानक से दांतों में ठंडा-गरम लगना, झनझनाहट होना या मुंह से दुर्गंध आना, दांतों में दर्द, कीड़े लगना, मसूड़ों में सूजन या दर्द होना , ब्रश करते समय मसूड़ों से खून आना या दांतों के बीच में गैप होने जैसी दिक्कतें आने लगती हैं। यदि समय पर इलाज न लिया जाए तो असमय दांत गिर भी सकते हैं।
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